कविता की रात

उसे इतना कुछ कहना था कि
उस रात कविता लिखता ही चला गया
स्याही ख़त्म हुई तो आसुओं से लिखा
फिर रक्त का इस्तेमाल हुआ
कागज़ ख़त्म हुआ तो उसने खुद पर कवितायें लिख दीं
अपने यादों और सपनों को कविताओं से पाट दिया
हर दृश्य हर तस्वीर जो याद आयी उसे कविताओं में डुबो दिया
और लिखते लिखते जब वो खाली हो गया
उसने अपनी कुछ कवितायें बिछाईं
और बाकी की ओढ़कर सो गया
सुबह लोगों को फर्श पर कविताओं की तीन परतें मिली
पुलिस परेशान रही कि कविताओं का पोस्टमार्टम कैसे हो.