गुमशुदा

न तुम जो सोचते हो, न मैं जो सोचता हूँ
मैं कौन हूँ, कहाँ हूँ, हर रोज़ खोजता हूँ

पूछो न मुझसे मेरा रस्ता, सफ़र ओ मंजिल
बस पाँव कांपते हैं, दिखता है दौड़ता हूँ

तस्वीर में भी धोखा, तक़रीर में भी झूठा
जानोगे मुझे कैसे, किरदार ओढ़ता हूँ

तस्वीर लेके अपनी दर दर भटक रहा हूँ
खुद में कहीं छिपा हूँ, दुनिया में ढूढता हूँ

उस दिन तेरी नज़र से देखा था जिसे मैंने
वो कौन हमशकल था, मैं नाम पूछता हूँ.