कहते हैं, जिसे धारण किया जाए वो धर्म है

ऐसा धर्म बेकार है, जिसका कोई पालन ही नहीं करता. बस धारण कर लेता है. धारण किये किये घूमता रहता है. धारण करके रेप करता है, धारण करके लड़कियां छेड़ता है, धारण किये किये भ्रस्टाचार करता है, ज़रूरतमंद का हक मारता है, जाति पाती के नाम पर अत्याचार करता है. इंसानियत की भी बलि दे देता है धर्म के नाम पर. दूसरों के धर्म से जाति से, देश से नफरत करता है. ये नफरत सिखाने वाला कौन सा धर्म है.
ये रेप करवाने वाला, बेईमानी करवाने वाला, अत्याचार करवाने वाला, दंगे करवाने वाला. ये धर्म सड़ा हुआ है बेकार है, ढोंग है, मन का भ्रम है. दरअसल, आपका धर्म बेकार है. सदियों पुराना और वाहियात है. आपको अंधा बनाने वाला है. जिसे आप अतीत के सम्मान के नाम पर ढो रहे हैं. ये वैसा है जैसे कोई बीसियों साल एक ही कपड़ा पहनता रहे. चाहे घिस जाए, उधड़ जाए, तार तार हो जाए. पर अतीत से प्रेम के नाम पर ढोता रहे. ऐसे आदमी को हम साइको कहेंगे. संवेदनशील नहीं. आप भी वहीं पहुच चुके हैं. आपका धर्म आपको मोह का त्याग नहीं सिखाता? पुराने का अंत और नए का जन्म नहीं सिखाता? आपका धर्म आपकी मूर्खता है. आपके लिए तो धर्म तर्कहीन है, दृष्टिहीन है, धर्म अच्छा भी हो पर आपके लिए तो बस अनुसरण है.

जन्म के आधार पर आप कैसे हिन्दू, मुसलमान, सिख, ईसाई, बौद्ध और जैन हो सकते हैं. मुहम्मद जन्म से मुसलमान नहीं थे, गुरु नानक जन्म से सिख नहीं थे. ईसा शुरू से ईसाई नहीं थे. बुद्ध बौद्ध नहीं थे. लेकिन आप जन्म से हो. क्योंकि आप अंधे अनुयायी हो. आप ने कभी कुछ तय ही नहीं किया. अरेंज मैरिज की तरह जिस लड़की से फेरे करा दिए गए आपने शादी कर ली. लड़की तो कम से कम आपकी जमाने की थी. ये धर्म तो सदियों पुराने हैं मेरे दोस्त. आपके साथ गहरा अन्याय हुआ है. जागो, एक बार आखें खोलकर दुनिया देख तो लो. कब तक यही पुराने चीथड़े पहन कर घुमते रहोगे. नए कपडे लत्ते पहनो यार अपने मन के. ये क्या हिन्दू, मुसलमान, सिख, ईसाई और पता नहीं क्या क्या बने घूम रहे हों. आगे ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, सिया, सुन्नी भी बने हो. इंसान बन के देखो मज़ा आएगा. एक बार सोच करके तो देखो कि क्या ज़रूरत है अब इसकी. एक बार कल्पना तो करो एक दुनिया की जहां कोई धर्म नहीं, कोई जाति नहीं. कोई जन्म से हिन्दू नहीं. कोई मुसलमान नहीं. कोई पंडित नहीं, कोई शूद्र नहीं. कोई छोटा नहीं. कोई बड़ा नहीं. कोई अलग नहीं. सब इंसान. एक जैसे. विश्व बंधुत्व का नाम तो सुना होगा भाई. (फेसबुक वॉल से)