फेसबुक, फतवा और आज़ादी

सुन्नी मुफ्ती 'अब्दुल रहमान नईमुल हलीम फिरंगी महली' का कहना है कि आप फेसबुक पर किसी की तस्वीर नहीं देख सकते हैं और यह फैसला भी नहीं कर कर सकते हैं कि आप दोस्ती करना चाहते हैं। प्यार और मोहब्बत के लिए वास्तविक जीवन में देखिए। इस तरह के आभासी संबंधों का कोई फायदा नहीं है। मुफ्ती चाहते हैं कि नौजवान वास्तविक दुनिया में रहें। काश कि बेहद लंबे नाम वाले ये बेचारे मुफ्ती जान पाते कि वो खुद ही वास्तविक दुनिया से दूर आदम हव्वा की दुनिया में जी रहे हैं.
उम्मीद है पुरातत्व विभाग की ओर से ज़ल्द ही मुफ्ती साहब पर दावा ठोक दिया जाएगा. जिससे आदम हव्वा की ऐसी विरासतों का संरक्षण किया जा सके. वैसे मुमकिन है कि इतना लंबा नाम होने की वज़ह से मुफ्ती साहब को फेसबुक पर एकाउंट बनाने में तकलीफ आ रही हो शायद इसीलिये फ्रस्ट्रेट होकर ऐसे बयान दे रहे हों. उन्हें यूआरएल शोर्ट करने की वेब प्रक्रिया से सबक लेकर अपना नाम कुछ छोटा करने पर ध्यान देना चाहिए.


वहीं शिया समुदाय के मौलाना सैफ अब्बास नकवी ने कहा, "महिलाओं को अपने परिवार के मर्दो के सिवाय कहीं भी अपना चेहरा नहीं दिखाना चाहिए। ऐसे में फेसबुक पर तस्वीरें पोस्ट करना हराम है और गैर इस्लामिक है। हम तालिबान मानसिकता के नहीं, बल्कि उदारवादी हैं।" इन शिया मुफ्ती साहब के बयान को देखकर लगता है कि अब समय आ गया है कि तालिबानी सोच की एक व्यापक परिभाषा बनायी जाए, नहीं तो हर तालिबानी खुद को उदारवादी कहता फिरेगा. वैसे जहां तक महिलाओं के चेहरा दिखाने का प्रश्न है. मैं मानता हूँ कि मूर्खता और पिछडेपन के प्रतीक ऐसे मुफ्ती दुनिया को अपना चेहरा दिखाने के लायक नहीं हैं और अब इन्हें बुर्का पहने बिना घर से नहीं निकालना चाहिए. 

आश्चर्य है कि कभी कोई मुफ्ती महिलाओं को संगीत से दूर करने की कोशिश करता है तो कभी कोई सोशल मीडिया से बेदखल करने की बेवकूफी बघारता है. और महिलाओं के हक की लड़ाई के इस दौर में सरकारें इन पुरुषवादी धर्मगुरुओं पर कोई कार्रवाई नहीं करती. हांलाकि मैं इन मुफ्तियों के फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन का विरोध नहीं करता. लेकिन कम से कम इतना तो सुनिश्चित करना चाहते हूँ कि महिलाओं के साथ सदियों से चले आ रहे इस लिंगभेदी अन्याय को खत्म करने के लिए कुछ उपाय हों. और इतिहास गवाह रहा है कि हमेशा महिलाओं का शोषण करने वाली ये व्यस्था विभिन्न धर्मों के नाम पर ही पाली पोसी गयी और लंबे समय अंतराल में महिलाओं को बेहद कमज़ोर और पिछड़ा बना देने में सफल रही.