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Anshu Mala Jha हमारे बीच से चली गयीं. आख़िरी बार, कुछ दिन पहले उनसे अस्पताल मे मुलाक़ात हुई थी. वो ठीक हो रही थीं और बिहार में अपने घर जाकर कुछ दिन आराम करना चाहती थीं. बहुत गंभीर हालत में रहने के बाद रिकवर कर रही थीं. बहुत सी बातें हुईं, काफी सारा हंसी मजाक भी. और आज अचानक पता लगा कि वो चली गयीं, हमेशा के लिए. उनसे पहली मुलाक़ात जंतर मंतर पर दामिनी आंदोलन के दौरान हुई थी.
उन्हें गुस्से मे नारे लगाते देखकर कोई अंदाज़ भी नहीं लगा सकता था कि वो एक गायिका थीं. उनकी आखों से गुस्सा और दुःख टपकता दिखता था. लगातार कई दिन तक अपने साथियों के साथ जंतर मंतर पर डटी रहीं और उसी दौरान पता लगा कि वो मैथिली की लोकगायिका हैं. बाद मे पता लगा कि उन दिनों ही वो धीरे धीरे बीमार पड़ रही थीं. एक कठिन जीवन यात्रा के बाद भी उनका हंसमुख अंदाज़ आपको एक पल में ही चिंताओं से बाहर ले आने वाला था. गिनती की मुलाकातें और मुट्ठी भर बातें, बस इतना ही मेरे हिस्से आया, हमेशा के लिए यादों में महफूज़ रहने के लिए. पिछले कई दिनों से उनसे बात करने के करने को सोच रहा था. एकाध बार न. भी ट्राई किया. पर पूरा प्रयास नहीं कर पाया. और बस, इसी बीच आज उनकी यात्रा समाप्त हो गयी.
आश्चर्य है कि कोई भी कभी भी जा सकता है, कहीं दूर. कभी न लौटने के लिए. इसी साल पटना से अर्चना जी के जाने की खबर आयी. फिर हाल ही मे संतोष जी और अब अंशुमाला जी. कोई भी कभी भी चल देगा और हम अपनी व्यस्त ज़िंदगी मे यूं ही फसे रह जायेंगे. निजी योजनाओं और काम के बोझ में दबे हुए. सलाम ज़िंदगी, अलविदा अंशुमाला जी.
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